हिंदू चेतना का पुनर्जागरण – राष्ट्रवाद का कुरूप चेहरा !
छठा लेख इस लेख में हम ई.एम.एस द्वारा श्रीनारायण गुरु के मूल्यांकन की चर्चा जारी रखते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि कृपया पिछले फेसबुक पोस्ट भी पढ़ें। आभार-सूची मलयालम पुस्तकें: “1.25 करोड़ मलयाळी” (1946) , “केरळं – मलयाळियों की मातृभूमि” (1948), “केरळं की प्रांतीय… Read More »हिंदू चेतना का पुनर्जागरण – राष्ट्रवाद का कुरूप चेहरा !