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एक प्रत्यावर्तन की कहानी

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लेखक: ओ श्रुति

२०१३ में कासरगोड केरल के एक हव्यक ब्राह्मण परिवार की युवती श्रुति के इस्लाम में परिवर्तित होकर रहमत बनने का समाचार काफी विवादास्पद रही थी। यह स्कूल शिक्षिका उन हजारों लोगों में से एक थी, जिनका ब्रेनवेशिंग से मत परिवर्तन किया था। ईश्वर की कृपा से इस युवती को आर्ष विद्या समाजम में आकर सनातन धर्म सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

इस्लाम में परिवर्तित होने की मूर्खता को महसूस करने के बाद, वह सनातन धर्म में लौट आई और आर्ष विद्या समाजम की पूर्णकालिक प्रचारक बनने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने जैसे हजारों अन्य लोगों को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूट्यूब पर उसके वीडियो को ६० लाख से अधिक बार देखा गया है। इस पुस्तक के माध्यम से, वह मत परिवर्तन के पीछे के वास्तविक कारणों और उनके समाधानों पर चर्चा करती है। श्रुति को उम्मीद है कि उसके माता-पिता को जिस पीड़ा और अपमान से गुजरना पड़ा, उसका सामना किसी और को न करना पड़े और कोई भी गलत धारणाओं का शिकार होकर मत परिवर्तन न करें।

पुस्तक से…………….

निर्णायक क्षण पास आ गया था। मैं मजिस्ट्रेट के सामने थी। 

“क्या है तुम्हारा फैसला?” उन्होंने पूछा। 

एक पल के लिए (शायद भगवान ने हस्तक्षेप किया), मैंने अपनी मां की ओर देखा। वह रोते हुए बोली, “मत जाओ मेरी बच्ची! मुझे छोड़कर मत जाओ” और ज़मीन पर गिर पड़ी। पुलिस और मैंने उनको उठाया। 

“मैं अभी अपने माता-पिता के साथ जाऊंगी। दो दिनों के बाद, मैं पोन्नानी वापस जाना चाहती हूं और इस्लामी अध्ययन फिर से शुरू करना चाहती हूं”, मैंने कहा। मेरे बयान के बाद जब हम बाहर आए तो मेरी मां ने मेरे गाल पर चूमा। मैं बेबस होकर उस कार की ओर बढ़ी जो मेरी मां के साथ हमें लेने आई थी। मैंने अपने पिता को कुछ फेंकते हुए देखा। वे ज़हर की शीशी लेकर मेरे सामने अपनी जान देने के लिए खड़े थे, अगर मैं उनके साथ लौटने का विरोध करती तो! जहर की शीशी उन्होंने फेंक दिया!


पुस्तक की कुछ विशेषताएं:

  1. यह पुस्तक  उन परिस्थितियों पर चर्चा करती है जो मतांतरण की ओर ले जाती हैं। जैसे – आंतरिक कमजोरी, जिसे हमें खुद ही हल करना है, वह है सनातन धर्म, अन्य मतों, दर्शन के बारे में अज्ञानता। साथ ही, अतीत और वर्तमान समस्याओं का ठीक से अध्ययन न करने की समस्या, इनके समाधान को लागू करने के लिए कोई व्यवस्था न होने की समस्या, हिंदुओं की यह गलत धारणा कि सभी धर्म एक जैसे हैं। असमानता और ऐसी अनेक समस्याएं।
  2. यह इस्लामवादियों की मतांतरण-रणनीति को समझाती है।
  3. मत परिवर्तन के दौरान व्यक्ति में होने वाला व्यावहारिक परिवर्तन। लोगों, परिवार, समाज, राष्ट्र और दुनिया के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया – इसे व्यक्तिगत अनुभव के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
  4. मत परिवर्तन केंद्रों में किए जाने वाले ब्रेनवॉशिंग, चरमपंथियों और आतंकवादियों को जन्म देने वाले प्रशिक्षण को उजागर करती है।
  1. हिंदू परिवारों और समाज पर मतांतरण के प्रभाव की व्याख्या करती है।
  1. यह बताती है कि व्यक्ति सनातन धर्म में कैसे वापस आ पाया।
  2. मतांतरण के खिलाफ़ एक मज़बूत प्रतिरोध प्रणाली कैसे बनाई जाए? पुस्तक उन कदमों को दर्शाती है।
  3. मतांतरित व्यक्ति को वापस लाने के क्या तरीके हैं?
  4. इस समस्या का स्थायी समाधान क्या है?

इन सब पर विस्तार से चर्चा करते हुए यह पुस्तक सनातन धर्म और इस्लाम का तुलनात्मक अध्ययन भी है। हजारों लोगों को बचाने वाली यह पुस्तक हिंदी में रिलीज हो रही है। आर्ष विद्या समाजम को इस विशेष अवसर पर  गर्व है।

Author

O Sruthi

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